माँ चन्द्रघंटा जी दुर्गा जी की तीसरी स्वरूप हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन इनको पूजा जाता है। माँ के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इनका नाम चन्द्रघंटा पडा है। माँ के दसों हाथ में खड़ग, तलवार, तीर-धनुष आदि शस्त्र विभूषित है।
Photo By WordZz |
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली॥
मन की मालक मन भाती हो। चंद्रघंटा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता। कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।
यदि आप शायरी, चुटकुले और कहानियॉ लिखने का शौक रखते हैं और आप चाहते हैं की आपका लिखा लेख आपके नाम के के साथ इस वेबसाइट पर प्रकाशित हो, तो कृप्या अपना लिखा हुआ लेख support@meridiaryse.com पर अपने नाम के साथ भेजें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thank You